शराबी की श्याम पीते पीते आगे बढ़ती हैं I
वह कहता हैं अपने जाम को देख कर की
कभी मेरे खली आखों से बहते हैं क्यों अश्क तोह पूछ I
चले चलते लड़खड़ाते हैं मेरे कदम क्यों तोह पूछ I
बीती बातें जब हद से ज्यादा याद आई तोह हाटों ने जो
पकड़ा हैं पैमाना व्हो टूट कर चुभे हैं क्यों तोह पूछ I
पैमाने में जम कम और आसुओं से ज्यादा क्यों भरी हैं तोह पूछ I
पूछता कोई नहीं बस कह जाते हैं अब बहुत हुआ पीना जाओ अपने घर
मैं ठहरा एक शराबी मेरे हाटों इस मैखाने के सारे जाम हो जाएँगी ख़तम
अब मेरी ज़िन्दगी में कितने दिन बचे हैं तोह पूछ I
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