eShayari
ग़ालिब
तुम जानो तुमको गैर से जो रस्मो-राह हो,
मुझको भी पूछते रहो तो क्या गुनाह है
-
ग़ालिब
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment